नई दिल्ली : अमेरिका और कनाडा की दोहरी नागरिकता वाला आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू। एक ऐसा आतंकी जिसे भारत को तलाश है। जो पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का मोहरा है। जो भारत को तोड़ने का नापाक मंसूबा पाला हुआ है। जो हिंदुस्तान के खिलाफ अक्सर जहर उ
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नई दिल्ली : अमेरिका और कनाडा की दोहरी नागरिकता वाला आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू। एक ऐसा आतंकी जिसे भारत को तलाश है। जो पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का मोहरा है। जो भारत को तोड़ने का नापाक मंसूबा पाला हुआ है। जो हिंदुस्तान के खिलाफ अक्सर जहर उगलता रहता है। कभी प्लेन उड़ाने की धमकी देता है तो कभी संसद पर हमले की। कभी भारतीय राजनयिकों पर हमले की साजिश रचता है तो कभी हिंदुओं के खिलाफ हिंसा का आह्वान करता है। लेकिन ये अमेरिकी-कनाडाई आतंकी अमेरिका और कनाडा का लाडला बना हुआ है। संयोग देखिए कि इसी आतंकी की धमकियों के बाद कनाडा में दंगाइयों ने हिंदू मंदिरों पर हमले किए। आतंकी पन्नू ने धमकी दी थी कि हिंदुओं को दिवाली नहीं मनाने देंगे। ये आतंकी खुलेआम कहता है कि जस्टिन ट्रूडो से उसका सीधा कनेक्शन है। उधर ट्रूडो की पुलिस भी मंदिर पर हमले मामले में दंगाइयों पर कार्रवाई करने के बजाय पीड़ित हिंदुओं पर खुद ही हमला करती दिखी। आतंकी पन्नू पर कार्रवाई के बजाय अमेरिका उल्टे उसकी हत्या की कथित साजिश को लेकर भारत की बाहें मरोड़ने की कोशिश करता है। गुरपतवंत सिंह पन्नू एक आतंकी से कहीं ज्यादा अमेरिका के दोगलेपन का जीता-जागता उदाहरण है।
गुरपतवंत सिंह पन्नू के इशारे पर कनाडा में उसके गुर्गे ब्रैम्पटन और सरे में हिंदू मंदिरों पर हमले करते हैं। कनाडा में हिंदू मंदिरों पर हमले से दो दिन पहले ही आतंकी पन्नू ने हिंदुओं को दिवाली नहीं मनाने की धमकी दी थी। उसने अपने गुर्गों से आह्वान किया था कि वे सुनिश्चित करें कि हिंदू अपने घरों या मंदिरों में पटाखे छोड़कर दिवाली न मना पाएं।
हिंदू और सिख समुदाय में फूट डालने और उनके बीच नफरत का जहर बोने की कोशिश के तहत उसने अपने वीडियो के जरिए 'सिख युवाओं' को हिंदुओं पर हिंसा करने के लिए खुलेआम उकसाया। भारत में दिवाली 31 अक्टूबर और कुछ जगहों पर 1 नवंबर को मनाई गई लेकिन आतंकी पन्नू का भड़काऊ वीडियो 2 नवंबर को सामने आया। वीडियो में उसने धमकी दी कि किसी भी हिंदू मंदिर को दिवाली पर पटाखे नहीं फोड़ने दिया जाएगा।
वीडियो में आतंकी कहता दिख रहा है,'ये सिख युवकों की जिम्मेदारी है कि वे सुनिश्चित करें कि किसी भी हिंदू मंदिर में पटाखे न फोड़े जाएं।' उसने आगे कहा कि पहले हिंदुओं से विनम्रता से कहा जाए कि पटाखे न छोड़ें और अगर वे फिर भी नहीं मानते हैं तो परंपरागत खालसा तरीका अपनाया जाना चाहिए। इस तरह उसने इशारों-इशारों में हिंदुओं पर हमले का आह्वान किया। इसे देखते हुए कनाडा के मंदिरों ने प्रशासन से सुरक्षा की मांग भी की थी। संयोग देखिए कि आतंकी पन्नू के धमकी भरे वीडियो के सामने आने के दूसरे ही दिन कनाडा में दंगाइयों की भीड़ ने दो हिंदू मंदिरों पर हमला कर दिया। वहां मौजूद श्रद्धालुओं को पीटा। और तो और, जस्टिन ट्रूडो की पुलिस या तो मूकदर्शक बनी रही या फिर खुद ही दंगाइयों का साथ देती रही।
इस पूरे एपिसोड पर अमेरिका की तरफ से आधिकारिक तौर पर कोई बयान नहीं आया है। हिंदू मंदिरों पर हमले की निंदा नहीं की गई है। ये पूरा एपिसोड अमेरिका के दोगलेपन को दिखाता है। वह आतंकी हरदीप सिंह निज्जर हत्याकांड में जस्टिन ट्रूडो के बेतुके आरोपों को लेकर भारत को नसीहत देता है कि जांच में कनाडा का सहयोग करे। लेकिन क्या वह खुद आतंकवादी पन्नू पर कार्रवाई करेगा जो खुलेआम भारत में हमले की धमकी देता है। विमानों के अपहरण और बम से उड़ाने की धमकी देता है। संसद पर हमले की धमकी देता है। हिंदुओं को त्योहार नहीं मनाने देने की धमकी देता है। इस आतंकी पर कार्रवाई तो दूर, अमेरिका उसकी हत्या की कथित साजिश मामले में भारत को जवाबदेही तय करने की नसीहत दे रहा है। भारत के एक पूर्व अफसर के खिलाफ केस चला रहा है।
अमेरिका के दोगलेपन का अंदाजा तो लगाइए। एक ऐसा देश जो दुनिया का स्वयंभू कोतवाल बना फिरता है। एक ऐसा देश जो अपने वॉन्टेड आतंकियों को किसी भी देश में घुसकर मारता है। एक ऐसा देश जो आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के नाम पर दूसरे देशों पर बाकायदा युद्ध थोपता है। वह देश भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बने और घोषित आतंकियों के बचाव में कैसे-कैसे कुतर्क गढ़ता है। कनाडाई आतंकी निज्जर हो या अमेरिकी-कनाडाई आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू, अमेरिका उनकी हत्या या फिर हत्या की कथित साजिश के लिए भारत को ज्ञान दे रहा है, धमकी दे रहा है, नसीहतें दे रहा है।
कनाडा की बात करें तो जस्टिन ट्रूडो ने उसे आतंकियों, चरमपंथियों, ड्रग तस्करों और गैंगस्टर्स का पसंदीदा ठिकाना और पनाहगाह में तब्दील कर दिया है। अब तो कनाडा पुलिस भी खुलेआम खालिस्तानी आतंकियों के साथ खड़ी हो रही है। ब्रैम्पटन में मंदिर पर हमला मामले में दंगाइयों की भीड़ में कनाडाई पुलिस का सार्जेंट हरिंदर सोही भी शामिल था। अब उसे सस्पेंड कर दिया गया है। कनाडा पुलिस दंगाइयों पर कार्रवाई के बजाय पीड़ित हिंदुओं पर खुद हमला कर रही थी जिसके कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हैं।
ऐसे ही एक वीडियो में एक महिला एक कनाडाई पुलिसकर्मी पर आरोप लगा रही है कि वह भी हमले में शामिल था। वह पुलिस अफसरों से उस पुलिसकर्मी को वहां से हटाने की गुजारिश कर रही थी। ब्रैम्पटन में जिस वक्त दंगाइयों ने हिंदू मंदिर पर हमला किया, उस वक्त जस्टिन ट्रूडो की कनाडाई पुलिस उन्हें रोकने के बजाय पीड़ित हिंदुओं पर ही हमलावर दिख रही है। एक किशोर को तो तीन-तीन पुलिसकर्मी जमीन पर पटककर उसके गर्दन पर पैर रखे हुए हैं। ठीक वैसे ही जैसे 2020 में अमेरिका में एक श्वेत पुलिसकर्मी ने जॉर्ज फ्लॉयड नाम के अश्वेत को जमीन पर पटककर उसकी गर्दन को पैर से दबाए हुआ था। फ्लॉयड बार-बार छोड़ने की गुहार लगा रहा था, कह रहा था कि वह सांस नहीं ले पा रहा लेकिन पुलिसकर्मी उसे नहीं छोड़ता। नतीजतन फ्लॉयड की जान चली गई।
कनाडाई पुलिस का दोगला चेहरा तब भी दिख रहा जब कुछ प्रदर्शनकारी कथित खालिस्तान के झंडे को फाड़ने या जलाने की कोशिश कर रहे थे। कनाडाई पुलिसकर्मी उससे झंडा छीन लेते हैं और उस पर हमला करते हैं। लेकिन यही पुलिस तब मूकदर्शक बनी रहती है जब दंगाई भारतीय तिरंगे का अपमान करते हैं। जस्टिन ट्रूडो ने कनाडा पुलिस को खालिस्तान समर्थक दंगाइयों के संरक्षक में तब्दील कर दिया है। दंगाई खुलेआम मंदिरों पर हमला करते हैं, भारतीय कॉन्सुलेट पर निशाना साधते हैं, तिरंगे का अपमान करते हैं लेकिन कनाडाई पुलिस मूकदर्शक बनी रहती है या फिर ऐसे कुकृत्यों को बढ़ावा देती दिखती है।
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पीटीआई, अमरेली। गुजरात के अमरेली में कार में बंद होने के बाद दम घुटने से चार बच्चों की मौत हो गई। हादसा तब हुआ, जब बच्चे खेलते समय कार में फंस गए। समाचार एजेंसी पीटीआई ने पुलिस के हवाले से इसकी जानकारी दी।